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CENTRAL INSTITUTE OF HORTICULTURE

केंद्रीय बागवानी संस्थान

Department of Agriculture & Farmers Welfare

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग

Ministry of Agriculture & Farmers Welfare

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

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From The Director's Desk

Central Institute of Horticulture, Medziphema, Nagaland has been established in the year 2005-06 by Department of Agriculture, Cooperation & Farmers Welfare, Ministry of Agriculture & Farmers Welfare, New Delhi with a broad vision & mission for development of Horticulture Sector in North East Region. In such an era, the Institute has been putting its efforts and footprints in the exponential development of horticulture sector through its variety of programmes. The Institute has played a vital role in the effective dissemination of technology through technology demonstrations, imparting training to the farmers and officials of NER, production of quality planting material, protected cultivation of flowers & vegetables, organic farming, Post harvest management, and skill development programmes etc.

Availability of Quality Planting material being a core issue in NER for increasing productivity, the Institute is in the mission since 2016 to Accredit & bring forth Certified Nurseries whereby true to type disease free quality planting material is being made available to the farmers. So far, the Institute has been able to Accredit 33 nurseries in different states of NE.

Further, India being a country where the youth population is higher, the Institute since 2015, is playing a key role in skilling a vast number of unemployed youths in the field of Horticulture through the three months Certificate Course and Skill Development Programmes. So far, more than 200 unemployed youths have been trained and many of the trainees have been provided employment through the Agriculture/Horticulture departments of NER and self employment in the field of horticulture.

Post Harvest Management being a key factor in enhancing the shelf life of horticulture crops, plays a vital role in the horticulture sector. Due to lack of proper post harvest facilities and accessibility to nearby markets, huge quantity of horticulture produce are wasted especially in the North East Region. In order to mitigate such losses, the Institute has conducted more than 78 trainings on Post Harvest Management and value addition of horticulture crops. Also various value added products like dehydrated pineapple, ginger candy, ginger pickle, brinjal pickle, pineapple jam, strawberry jam, pineapple squash, strawberry wine, moringa powder, tomato sauce etc has been prepared for demonstration purpose.

Through the agri-business promotion programmes of the Institute, a large number of growers & self help groups have been able to promote their produce. Promotion, creation of market linkage & branding of Naga Organic Pineapple in the National level are the remarkable achievements under the sector. Through such efforts, there has been a tremendous achievement in the socio- economic development of the farmers and self help groups.

The Institute has been bringing out a number of publications on various horticulture topics since its inceptions. The Institute has so far published 2 nos. of book, 8 nos. of Technical bulletin, 4nos. of manual, 56 nos. of extension folders as well as translated 112 folders in various local languages of Nagaland, Assam, Arunachal Pradesh & Meghalaya.

The Institute strives to become a premier horticulture Institute of the country by undertaking new roles and responsibility along with its broad objectives, thereby gathering to the vast requirements of developing horticulture sector in North East Region. The Institute requires constant support from the Horticulture Departments of North East Region for implementing various programmes of the Institute for the overall upliftment of horticulture sector in the region and contributes towards the growth of the country through horticulture.

केंद्रीय बागवानी संस्थान, मेडज़िफेमा, नागालैंड की स्थापना वर्ष 2005-06 में कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा की गई थी। उत्तर-पूर्व क्षेत्र में संस्थान, बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए एक व्यापक दृष्टि और मिशन के साथ विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से बागवानी क्षेत्र के विकास में सहायक है। संस्थान ने प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से प्रौद्योगिकी के प्रभावी प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उत्तर-पूर्व क्षेत्र के किसानों और अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना, गुणवत्ता रोपण सामग्री का उत्पादन, फूलों और सब्जियों की संरक्षित खेती, जैविक खेती, कटाई के बाद प्रबंधन, और कौशल विकास कार्यक्रम आदि संस्थान के मुख्य कार्यक्रम हैं।

उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्तर-पूर्व क्षेत्र में गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री की उपलब्धता एक मुख्य मुद्दा है। इसके अंतर्गत प्रमाणित नर्सरी और रोग मुक्त गुणवत्ता रोपण सामग्री किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है। अब तक संस्थान द्वारा उत्तर-पूर्व राज्यों में 33 से अधिक नर्सरी को मान्यता प्रदान की गई है।

2015 से संस्थान, तीन महीने के सर्टिफिकेट कोर्स और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से बागवानी के क्षेत्र में बेरोजगार युवाओं की एक बड़ी संख्या को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब तक 200 से अधिक बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है और कई प्रशिक्षुओं को एनईआर के कृषि / बागवानी विभागों और बागवानी के क्षेत्र में स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार प्रदान किया गया है।

बागवानी फसलों के शेल्फ जीवन को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कारक, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट, बागवानी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कटाई के बाद की उचित सुविधाओं और आस-पास के बाजारों तक पहुंच न होने के कारण, विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारी मात्रा में बागवानी उत्पाद बर्बाद हो जाते हैं। इस तरह के नुकसान को कम करने के लिए, संस्थान ने पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन और बागवानी फसलों के मूल्यवर्धन पर 78 से अधिक प्रशिक्षण आयोजित किए हैं। इसके अलावा विभिन्न मूल्य वर्धित उत्पाद जैसे निर्जलित अनानास, अदरक कैंडी, अदरक का अचार, बैंगन का अचार, अनानास जैम, स्ट्रॉबेरी जैम, अनानास स्क्वैश, स्ट्रॉबेरी वाइन, मोरिंगा पाउडर, टोमैटो सॉस आदि को प्रदर्शन के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

संस्थान के कृषि-व्यवसाय संवर्धन कार्यक्रमों के माध्यम से, बड़ी संख्या में उत्पादकों और स्वयं सहायता समूहों को अपनी उपज को बढ़ावा देने में सक्षम बनाया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर नागा ऑर्गेनिक अनानास का प्रचार, मार्केट लिंकेज और ब्रांडिंग का निर्माण इस क्षेत्र के तहत उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं। इस तरह के प्रयासों के माध्यम से किसानों और स्वयं सहायता समूहों के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक उत्तरोत्तर उपलब्धि हुई है।

संस्थान अपनी स्थापना के बाद से विभिन्न बागवानी विषयों पर कई प्रकाशन कर चुका है। संस्थान ने अब तक 2 पुस्तकें, 8 तकनीकी बुलेटिन, 4 मैनुअल, 56 विस्तार फ़ोल्डर प्रकाशित किए हैं और साथ ही साथ नागालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय की विभिन्न स्थानीय भाषाओं में 112 फ़ोल्डरों का अनुवाद किया है।

संस्थान अपने व्यापक उद्देश्यों के साथ नई भूमिकाएं और जिम्मेदारी निभाते हुए देश का एक प्रमुख बागवानी संस्थान बनने का प्रयास कर रहा है, जिससे उत्तर पूर्व क्षेत्र में बागवानी क्षेत्र के विकास की विशाल आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। संस्थान को इस क्षेत्र में बागवानी क्षेत्र के समग्र उत्थान के लिए संस्थान के विभिन्न कार्यक्रमों को लागू करने के लिए उत्तर पूर्व क्षेत्र के बागवानी विभागों से निरंतर समर्थन की आवश्यकता है और बागवानी के माध्यम से देश के विकास में योगदान कर रहा है।